Kuber ji ki aarti Lyrics

ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे,
स्वामी जै यक्ष जै यक्ष कुबेर हरे !
शरण पड़े भगतों के,
भण्डार कुबेर भरे !
!! ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…!!
शिव भक्तों में भक्त कुबेर बड़े,
स्वामी भक्त कुबेर बड़े !
दैत्य दानव मानव से,
कई-कई युद्ध लड़े !!
!! ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…!!
स्वर्ण सिंहासन बैठे,
सिर पर छत्र फिरे,
स्वामी सिर पर छत्र फिरे !
योगिनी मंगल गावैं,
सब जय जय कार करैं !!
!! ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…!!
गदा त्रिशूल हाथ में,
शस्त्र बहुत धरे,
स्वामी शस्त्र बहुत धरे !
दुख भय संकट मोचन,
धनुष टंकार करें !!
!! ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…!!
भांति भांति के व्यंजन बहुत बने,
स्वामी व्यंजन बहुत बने !
मोहन भोग लगावैं,
साथ में उड़द चने !!
!! ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…!!
बल बुद्धि विद्या दाता,
हम तेरी शरण पड़े,
स्वामी हम तेरी शरण पड़े !
अपने भक्त जनों के,
सारे काम संवारे !!
!! ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…!!
मुकुट मणी की शोभा,
मोतियन हार गले,
स्वामी मोतियन हार गले !
अगर कपूर की बाती,
घी की जोत जले !!
!! ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…!!
यक्ष कुबेर जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे !
कहत प्रेमपाल स्वामी,
मनवांछित फल पावे !!
!! ऊँ जै यक्ष कुबेर हरे…!!