श्री तुलसी चालीसा
॥ दोहा ॥जय जय तुलसी भगवती सत्यवती सुखदानी ।नमो नमो हरि प्रेयसी श्री वृन्दा गुन खानी ॥श्री हरि शीश बिरजिनी, देहु अमर वर अम्ब ।जनहित हे वृन्दावनी अब न करहु विलम्ब ॥ ॥ चौपाई ॥ धन्य धन्य श्री तलसी माता ।महिमा अगम सदा श्रुति गाता ॥ हरि के प्राणहु से तुम प्यारी ।हरीहीँ हेतु कीन्हो […]